Pradosh Vrat Kab Hai 2023: जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत तिथि

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हेलो दोस्त आज में आपको Pradosh Vrat Kab Hai इसके बारे में पूरी जानकारी देने वाला हु। भगवान भोलेनाथ की किसी भी दिन पूजा करने से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते है, परंतु सभी व्रतों में भगवान भोलेनाथ को प्रदोष व्रत सबसे परमप्रिय है। प्रदोष व्रत को जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा से करता है, भगवान शिव जी उनकी हर मनोकामनाएं को पूरी करता है।

इस व्रत को करने मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते है, दुखों का अंत हो जाता है और सुख की प्राप्ति हो जाती है। अगर आप प्रदोष व्रत को पूरे नियम से और विधि विधान करते है, तो मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है, तो दोस्तो चलिये Pradosh Vrat Kab Hai इसके बारे में पूरी जानकारी जान लेते है।

Pradosh Vrat क्या है?

हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत बहुत शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। हर माह में प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत कहा जाता है। सूर्यास्त के पहले 45 मिनट का समय और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद का समय को प्रदोषकाल कहा जाता है। इसी शुभ समय में भगवान शिव जी की पूजा अर्चना की जाती है, जिससे भगवान से कई गुना फल मिलता है। त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चंद्रमास की किसी भी पक्ष की तेरहवीं तिथि अर्थात त्रयोदशी तिथि के दिन यह व्रत रखा जाता है। शास्त्रों के अनुसार हर माह में कृष्ण पक्ष और शुल्क पक्ष के दीन व्रत रखा जाता है।

सफ्ताहिक प्रदोष व्रत का महत्व

  • रविवार के दिन प्रदोष व्रत रखते है, तो आपका स्वस्थ अच्छा रहेगा और आप सदा निरोगी रहोगे।
  • सोमवार के दिन प्रदोष व्रत रखते है, तो आपकी सभी इच्छाये पूरी हो जाती है।
  • मंगलवार के दिन पदोष व्रत रखते है, तो आपको किसी भी रोगों मुक्ति मिलेगी और आपका शरीर स्वस्थ और अच्छा रहेगा।
  • बुधवार के दिन प्रदोष व्रत को पूरी श्रद्धा से पालन करते है, तो आपकी सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।
  • बृहस्पतिवार के दिन प्रदोष व्रत रखने से आपके जीवन से शत्रु का नाश हो जाता है।
  • शक्रवार के दिन व्रत रखने से आपका भाग्य अच्छा रहता है।
  • शनिवार के दिन प्रदोष व्रत रखते है, तो आपको संतान की प्राप्ति हो जाती है।

Pradosh Vrat Kab Hai

प्रदोष व्रत माह की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि से शुरू करें। प्रदोष व्रत शुरू करने के लिए श्रावण और कातिक महीना सबसे सर्वश्रेष्ठ होता है। प्रदोष व्रत 11 दिन या 26 दिन करना चाईए अगर आप 11 वे दिन प्रदोष व्रत करते है 12 वे उध्यापन करें। अगर आप 26 वे दिन प्रदोष व्रत करते है, तो आप 27 वे दिन उध्यापन करें। उध्यापन के दिन विधि विधान से पूजा करें और शाम को हवन करें, फिर अन्न ग्रहण करके पूजा का उध्यापन करें।

Pradosh Vrat 2023 List

व्रत नामदिनदिनांकपक्ष
प्रदोष व्रत बुधवार 4 जनवरी 2023शुक्ल पक्ष
प्रदोष व्रतगुरुवार 19 जनवरी 2023कृष्ण पक्ष
प्रदोष व्रतगुरुवार 2 फरवरी 2023शुक्ल पक्ष
प्रदोष व्रतशनिवार 18 फरवरी 2023कृष्ण पक्ष
प्रदोष व्रतशनिवार 4 मार्च 2023शुक्ल पक्ष
प्रदोष व्रतरविवार 19 मार्च 2023कृष्ण पक्ष
प्रदोष व्रतसोमवार3 अप्रैल 2023शुक्ल पक्ष
प्रदोष व्रतसोमवार17 अप्रैल 2023कृष्ण पक्ष
प्रदोष व्रतबुधवार3 मई 2023शुक्ल पक्ष
प्रदोष व्रतबुधवार17 मई 2023कृष्ण पक्ष
प्रदोष व्रतगुरुवार1 जून 2023शुक्ल पक्ष
प्रदोष व्रतगुरुवार15 जून 2023कृष्ण पक्ष
प्रदोष व्रतशनिवार1 जुलाई 2023शुक्ल पक्ष
प्रदोष व्रतशनिवार15 जुलाई 2023कृष्ण पक्ष
अधिक प्रदोष व्रतरविवार 30 जुलाई 2023शुक्ल पक्ष
अधिक प्रदोष व्रतरविवार 13 अगस्त 2023कृष्ण पक्ष
प्रदोष व्रतसोमवार28 अगस्त 2023शुक्ल पक्ष
प्रदोष व्रतमंगलवार12 सितंबर 2023कृष्ण पक्ष
प्रदोष व्रतबुधवार27 सितंबर 2023शुक्ल पक्ष
प्रदोष व्रतगुरुवार12 अक्टूबर 2023कृष्ण पक्ष
प्रदोष व्रतगुरुवार26 अक्टूबर 2023शुक्ल पक्ष
प्रदोष व्रतशुक्रवार 10 नवंबर 2023कृष्ण पक्ष
प्रदोष व्रतशनिवार25 नवंबर 2023शुक्ल पक्ष
प्रदोष व्रतरविवार 10 दिसंबर 2023कृष्ण पक्ष
प्रदोष व्रतरविवार 24 दिसंबर 2023शुक्ल पक्ष

प्रदोष व्रत पूजा विधि

त्रयोदशी के दीन के पहले सात्विक भोजन का ग्रहण करें और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठकर स्वच्छ जल में थोड़ा गंगाजल डालकर स्नान करें।

फिर शुद्ध और स्वच्छ हल्के रंग के वस्त्र धारण करे, भगवान शिव जी को सफेद रंग के वस्त्र सबसे प्रिय है, इसलिए आप हो सके तो सफेद रंग के वस्त्र पहन लीजिए, इसके अलावा आप लाल, पिला, नारंगी और आसमानी रंग के वस्त्र पहने सकते है।

आप घर के मंदिर भगवान शिव जी की पूजा कर सकते है या फिर मंदिर जाकर भी पूजा कर सकते है। अगर आप घर में पूजा करते है, तो शिवलिंग को जरूर स्थापित करें। प्रदोष व्रत की पूजा में फूल, फल, नारियल, धोती, धतूरे का फूल, चंदन, घी, गंगाजल, पंचामृत, मिठाई, कपूर, बेलपत्र, शमीपत्र शामिल करें। इसके अलावा केले का पत्ता, पान, सुपारी, श्रृंगार का सामान जरूर शामिल करें।

सबसे पहले दाई तरह अष्टदल कमल बनाइये और अष्टदल कमल पर जल से भरा हुआ कलश रखिये। आम के पल्लव को कलश में रखे और मोली से सजा हुआ नारोयल उसके ऊपर रख दीजिए। घी का दीपक जलाकर भगवान के सामने रखे।

भगवान शिव के साथ भगवान गणेश और माँ पार्वती की भी पूजा करे। किसी भी भगवान की पूजा करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। सबसे पहले गणेश की पूजा करें और ॐ गं गणपतये नमः का जाप करें आपकी सभी कामनाएं पूरी होती है।

इसके बाद माँ पावती की पूजा करें। माँ पावर्ती को अक्षत चढ़ाकर टिका लगाए। माँ पार्वती पर श्रृंगार का सारा सामान चढ़ाए और माँ पार्वती की पूजा करते समय ॐ गौरये नमः या फिर ॐ उमामहेश्वराभ्यां नमः का जाप करें।

ॐ नमः शिवाय का जाप करते हुए शिवलिंग पर जल और पंचामृत से अभिषेक करे, फिर गंगाजल से भी अभिषेक करें। स्नान करने के बाद शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाए। उसके बाद ध्यान करते हुए चावल, धतूरे का फूल और बेलपत्र चढ़ाकर शंकर भगवान की पूजा करें। संभव हो तो भगवान शिव जी को भांग का भोग लगाएं। उसके बाद शिव जी को धोती चढ़ाए।

अब भगवान शिव जी पर फूलों की माला अर्पण करें। इसके बाद शिवलिंग पर फूल चढ़ाए। मंत्र का जाप करते हुए भगवान शंकर पार्वती को दिया और अगरबत्ती दिखाए। पूजा करने बाद भगवान को नैवेद्य और फल का भोग चढ़ाए। अब भगवान के सामने जलपात्र में जल रखे। अगर पूजा करते समय गलती हो जाती है, तो आप भगवान से क्षमा मांग सकते है।

इसके बाद जिस भी दिन का प्रदोष व्रत है जैसे कि रविवार की के दिन प्रदोष व्रत है तो रवि प्रदोष व्रत कथा को पढ़े और उसके बाद आप भगवान की आरती करकर प्रदोष व्रत को सम्पूर्ण करें।

प्रदोष व्रत में क्या खाएं?

शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत में त्रयोदशी के दिन निर्जल यानी निराहार रहना चाईए। अगर किसी कारण निराहार रहना संभव नही है, तो आप फलाहार रह सकते है। प्रदोष व्रत में नमक वर्जित होता है इसीलिए भूलकर भी नमक ना खाएं।

इसे भी पढ़े : Ekadashi Kab Hai: जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत तिथि

निष्कर्ष

तो दोस्तो उम्मीद है कि आपको Pradosh Vrat Kab Hai इसके बारे में पूरी जानकारी पता चल गयीं। आप हमने बताये हुए पूजा विधि और नियम से प्रदोष व्रत को सही से पूरा कर सकते है। प्रदोष व्रत बहुत ही लाभकारी होता है इसे आप पूरी श्रद्धा से और विधि विधान से करे आपको इसका जरूर फल मिलेगा। प्रदोष व्रत करने के लिए आप निराहार नही रह पाते है तो फलाहार राह सेक्टर है जिसमे आप मीठे फल खा सकते है। आप हमारे Pradosh Vrat Kab Hai इस ब्लॉग पोस्ट को पढ़ने के आपका बहुत धन्यवाद आपको यह ब्लॉग कैसा लगा नीचे कमेंट में जरूर बताना।

FAQ

इस माह में प्रदोष व्रत कब है?

इस बार प्रदोष व्रत पौष माह की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 4 जनवरी 2023 बुधवार के दिन और पौष माह का दूसरा प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 19 जनवरी 2023 गुरुवार के दिन व्रत रखा जाएगा।

दिसंबर में प्रदोष व्रत कब है?

दिसंबर में प्रदोष व्रत कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 10 दिसंबर 2023 रविवार के दिन और का दूसरा प्रदोष व्रत मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष 24 दिसंबर 2023 रविवार के दिन व्रत रखा जाएगा।

प्रदोष व्रत में शाम को क्या खाना चाहिए?

प्रदोष व्रत में शाम को प्रदोषकाल के समय पूजा के बाद सबको प्रसाद विधित करें। इसके बाद आप मीठा भोजन जैसे कि सूजी का हलवा, खीर, फल इत्यादि ग्रहण कर सकते है। ध्यान रहे कि एक ही तरह का मीठा भोजन जैसे कि सूजी हलवा है तो वही खाएं।

प्रदोष व्रत की पूजा कैसे की जाती है?

प्रदोष व्रत के दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। स्वच्छ सफेद वस्त्र पहनकर भगवान शिव और माँ पार्वती के साथ गणेश जी की विधि विधान से पूजा करें। भगवान शिव जी को बेलपत्र, शमीपत्र, धतूरा, व्रुद्राक्ष चढ़ाए और ॐ नमः शिवाय का जाप करें।

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