हेलो दोस्तो आज में आपको Ekadashi Kab Hai इसके बारे में पूरी जानकारी देने वाला हु। आज के आधुनिक समय में एकादशी व्रत का महत्व, पूजा विधि और कथा के बारे में कई व्यक्तियों को जानकारी नही होती है, खास कर उन्हें जो कॉलेज और स्कूल के विद्यार्थी उन्हें एकादशी व्रत के बारे में ज्यादा जानकारी नही होती है।
ऐसे में अगर आप भी पहली बार एकादशी व्रत रख रहे है और आप एकादशी व्रत क्या है और एकादशी कब है यह जानना चाहते है, तो हम आपको एकादशी व्रत, सूची और कथा के बारे में पूरी जानकारी जानकारी बताएंगे, तो दोस्तों चलिये Ekadashi Kab Hai और शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत तिथि इसके बारे में पूरी जानकारी जान लेते है।
एकादशी क्या है?
हिन्दू पंचांग के अनुसार ग्यारवहीँ तिथि को एकादशी कहते है। हमारे कालगणना में दो तरह के पक्ष होते है एक होता है शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष होता है। यह एकादशी महीने में दो बार आती है, पहली एकादशी पूर्णिमा होने पर जिसे कृष्ण पक्ष एकादशी कहते है और दूसरी अमावस्या होने पर जिसे शुक्ल पक्ष एकादशी कहते है।
इन दोनों एकादशियों का हमारे हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। हर साल कुल 24 एकादशी व्रत मनाए जाते है, जिसमें 12 शुक्ल पक्ष और 12 कृष्ण पक्ष होते है। हालांकि तीसरे वर्ष अधिक मास होने पर यह कुल 26 एकादशी की तिथियां हो जाती है।
एकादशी व्रत क्या है?
शास्त्रों के अनुसार कहा गया है कि एकादशी के दिन व्रत करने से भगवान विष्णु प्रसन होते है। एकादशी व्रत करने से मनुष्य के सभी पाप मिट जाते है और पुण्य की वृद्धि होती है। घर में सुख शांति के अलावा स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ती होती है। एकादशी व्रत इंद्रियों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। इस व्रत को करने से शरीर की कोशिकाओं पर असर डालकर कई असाध्य विमारियों से बचाव करता है। इसके कारण जो भी व्यक्ति व्रत करता है वह जीवनभर स्वास्थ रहता है।
एकादशी व्रत के नियम
- एकादशी के पिछले दिन यानि दशमी के दिन मांस, प्याज, लहसुन,मसूर की दाल आदि भोजन में शामिल न करें। इस दिन ब्रम्ह के स्वरूप में विचरण करें और भोग-विलास से दुर रहे।
- एकादशी के दिन प्रातः में लकड़ी का दातुन ना करें। आप नींबू, जामुन या फिर आम के पत्ते को चबा सकते है और उंगली से कंठ को साफ करें। ध्यान रहे कि इस दिन वृक्ष से पत्ता तोड़ना वर्जित होता है। आप वृक्ष से गिरा हुआ पत्तों का सेवन कर सकते है। यह नही हो सके तो आप पानी से बाहर कुल्ले कर सकते है।
- बाद में आपभगवान के सामने इस प्रकार प्रण करें कि आज में चोर, पाखंडी और दुराचारी मनुष्य से बात नही करूंगा और ना ही किसी मनुष्य का दिल दिखाऊंगा। में रातभर को जागरण करके भजन कीर्तन करूंगा।
एकादशी व्रत सूची 2023 (Ekadashi Kab Hai)
दिनांक | दिन | एकादशी नाम | पक्ष |
---|---|---|---|
2 जनवरी | सोमवार | पौष पुत्रदा एकादशी | शुल्क पक्ष |
18 जनवरी | बुधवार | षटतिला एकादशी | कृष्ण पक्ष |
1 फरवरी | बुधवार | जया एकादशी | शुक्ल पक्ष |
16 फरवरी | गुरुवार | विजया एकादशी | कृष्ण पक्ष |
3 मार्च | शुक्रवार | आमलकी एकादशी | शुक्ल पक्ष |
18 मार्च | शनिवार | पापमोचिनी एकादशी | कृष्ण पक्ष |
1 अप्रैल | शनिवार | कामदा एकादशी | शुक्ल पक्ष |
15 मई | सोमवार | अपरा एकादशी | कृष्ण पक्ष |
31 मई | बुधवार | निर्जला एकादशी | शुक्ल पक्ष |
14 जून | बुधवार | योगिनी एकादशी | कृष्ण पक्ष |
29 जून | गुरुवार | देवशयनी एकादशी | शुक्ल पक्ष |
13 जुलाई | गुरुवार | कामिका एकादशी | कृष्ण पक्ष |
29 जुलाई | शनिवार | पद्मिनी एकादशी | शुक्ल पक्ष |
12 अगस्त | शनिवार | परमा एकादशी | कृष्ण पक्ष |
27 अगस्त | शनिवार | श्रावण पुत्रदा एकादशी | शुक्ल पक्ष |
10 सितंबर | रविवार | अजा एकादशी | कृष्ण पक्ष |
25 सितंबर | सोमवार | परिवर्तिनी एकादशी | शुक्ल पक्ष |
10 अक्टूबर | मंगलवार | इंदिरा एकादशी | कृष्ण पक्ष |
25 अक्टूबर | बुधवार | पापाकुंशा एकादशी | शुक्ल पक्ष |
9 नवंबर | गुरुवार | रमा एकादशी | कृष्ण पक्ष |
23 नवंबर | गुरुवार | देवउठनी एकादशी | शुक्ल पक्ष |
8 दिसंबर | शुक्रवार | उत्पन्ना एकादशी | कृष्ण पक्ष |
22 दिसंबर | शुक्रवार | मोक्षदा एकादशी | शुक्ल पक्ष |
एकादशी पूजा विधि क्या है?
एकादशी के दिन भक्तों को सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करना चाहिए। सुबह की प्राथना में पूरे दिन के उपवास का संकल्प लेना चाहिए। भगवान विष्णु की पूजा में पवित्र गंगाजल, तुलसी, फूल, धूप, दिप, कपूर, पंचामृत, पैन लौंग, सुपारी और चंदन को अर्पित करें। इस दिन आप भगवान विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें यह बहुत कल्याणकरी होता है।
भगवान को सात्त्विक आहार का भोग लगाएं, जिसमें तुलसी को जरूर शामिल करें। एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की भी पूजा करें। आप उपवास को दो तरह के कर सकते है एक निराहार और फलाहार। एकादशी के दिन शाम को भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद आप भोजन ग्रहण कर सकते है।
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निष्कर्ष
तो दोस्तो उम्मीद है कि आपको Ekadashi Kab Hai इसके बारे में पूरी जानकारी पता चल गयीं। आप हमने बताये हुए पूजा विधि और नियम से एकादशी व्रत को सही से पूरा कर सकते है। एकादशी व्रत आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे सभी पाप मिटने के अलावा शरीर के स्यास्थ्य के लिए अच्छा होता है और आपको किसी भी प्रकार की बीमारी से छुटकारा मिल सकता है। आप हमारे Ekadashi Kab Hai इस ब्लॉग पोस्ट को पढ़ने के आपका बहुत धन्यवाद आपको यह ब्लॉग कैसा लगा नीचे कमेंट में जरूर बताना।
FAQ
एकादशी व्रत कथा क्या है?
हिन्दू पंचांग में ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहलाता है। यह तिथि महीने 2 बार आती है, जिसमें एक कृष्ण पक्ष एकादशी और शुक्ल पक्ष एकादशी होती है। कृष्ण पक्ष एकादशी पूर्णिमा होने पर आती है तो शुक्ल पक्ष एकादशी अमावस्या होने पर आती है।
आज एकादशी कितने बजे है?
19 दिसंबर 2022 को एकादशी तिथि प्रारंभ 3 बजकर 32 मिनट्स पर होगा और 20 दिसंबर 2022 को एकादशी तिथि समाप्त 2 बजकर 32 मिनट्स पर होगा।
एकादशी कब है दिसंबर में?
एकादशी दिसंबर में 03/12/2022 शनिवार को मोक्षदा एकादशी है और 19/12/2022 को सोमवार को सफला एकादशी है।
सबसे बड़ी एकादशी कौन सी है?
निर्जला एकदशी यह सबसे बड़ी एकादशी होती है। इस एकादशी के दिन व्रत में पानी पीना वर्जित होता है, इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहते है। निर्जला एकादशी वर्षभर की एकादशियों का पुण्य लाभ देने वाली श्रेष्ठ एकादशी है।
एकादशी के दिन चावल खाने से क्या होता है?
एकादशी के दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को चावल खाना वर्जित होता है। कहा जाता है कि एकादशी के दिन चावल खाने से जन्म में सरीसृप का रूप धारण करता है।
क्या हम एकादशी पर रोटी खा सकते है?
एकादशी व्रत में अनाज नही खाया जाता है। इस व्रत के दिन आप आलू, सूखा मेवा, दूध, फल, काली मिर्च और सेंधा नमक खा सकते है
एकादशी व्रत में किसकी पूजा करनी चाहिए?
एकादशी के इस पावन दिन पर आप भगवान विष्णु को समर्पित करें। एकादशी के दिन पूजा विधि-विधान से भगवान विष्णु पूजा अर्चना करें। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।