हेलो दोस्तो आज में आपको Amavasya Kab Hai इसके बारे में पूरी जानकारी देने वाला हु। अमावस्या का दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए उत्तम दिन माना जाता है। आप अपने पितरों की शांति और श्राद्ध करने के लिए अमावस्या के दिन पूजा पाठ कर सकते है। आप अपने पितरों की आत्मा की शांति, तर्पण और श्राद्ध के लिए अमावस्या कब है और पूजा विधि क्या है यह जानना चाहते है, तो हम आपको अमावस्या 2023 की पूरी सूची बताएंगे और अमावस्या के दिन पितरों की पूजा विधि के बारे में पूरी जानकारी बताएंगे, तो दोस्तो चलिए Amavasya Kab Hai इसके बारे में पूरी जानकारी जान लेते है।
अमावस्या क्या है?
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार माह की तीसवीं और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या कहते है। अमावस्या का दिन हिन्दू धर्म बहुत महत्व होता है। हर माह में किसी ना किसी व्रत को मनाया जाता है। जिस दिन चंद्रमा को भारतवर्ष में नही देखा जाता है उस दिन अमावस्या होती है। चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर 28 दिनों में पूरा करता है और 15 दिनों के लिए चंद्रमा पृथ्वी के दूसरी ओर होता है, ऐसे में भारत में चंद्रमा को नही देख सकते है।
चंद्रमा को जिस दिन भारतवर्ष में पूरा नही देखा जा सकता है, उस दिन को अमावस्या कहते है। शास्त्रों के अनुसार अमावस्या के दिन पित्तरों के आत्मा की शांति तर्पण और श्राद्ध किया जाता है। इससे घर में सुख शांति बनी रहती है और पितरों की कृपा भी प्राप्त होती रहती है। अगर किसी के घर में पितृदोष है, तो इससे मुक्ति पाने के लिए घर के बड़े सदस्य है तो उपवास रख सकते है।
Amavasya Kab Hai 2023
अमावस्या | दिन | दिनांक |
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माघ अमावस्या | शनिवार | 21जनवरी 2023 |
दर्श अमावस्या | रविवार | 19 फरवरी 2023 |
चैत्र अमावस्या | मंगलवार | 21 मार्च 2023 |
वैशाख अमावस्या | गुरुवार | 20 अप्रैल 2023 |
जेष्ठ अमावस्या | शुक्रवार | 19 मई 2023 |
आषाढ़ अमावस्या | रविवार | 18 जून 2023 |
श्रावण अमावस्या | सोमवार | 17 जुलाई 2023 |
श्रावण अमावस्या | बुधवार | 16 अगस्त 2023 |
भाद्रपद अमावस्या | गुरुवार | 14 सितंबर 2023 |
आश्विन अमावस्या | शनिवार | 14 अक्टूबर 2023 |
कार्तिक अमावस्या | सोमवार | 13 नवंबर 2023 |
मार्गशीर्ष अमावस्या | मंगलवार | 12 दिसंबर 2023 |
अमावस्या के दिन पितरों की पूजा विधि
पितरों का विशेष दिन वह अमावस्या का दिन होता है। प्रातःकाल में जल्दी उठकर गंगा नदी में स्नान करें या फिर नहाने के पानी मे थोड़ा गंगाजल डालकर स्नान करें। इसके बाद उगते हुए सूर्य को प्रणाम करें और जल अर्पित करें। इसके उपरांत विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें। आपको अमावस्या के दिन उपवास करना है और शाम को पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने से पुण्यफल मिलता है।
जिन लोगों की कुंडली मे पितृदोष होता है उन्हें अमावस्या के दिन ब्राम्हणों को भोजन कराए और गरीबों को कंबल, वस्त्र, तिल आदि का दान करना चाहिए। धार्मिक मान्यता के नुसार अमावस्या के दिन पितरों को श्राद्ध या पिंडदान करने से मुक्ति मिलती है और स्वर्ग की प्राप्ति होती है। पौष अमावस्या के दिन सूर्य की पूजा पाठ करनी चाहिए जिससे व्यक्ति को फल और पुण्य मिलता है।
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निष्कर्ष
तो दोस्तो उम्मीद है कि आपको Amavasya Kab Hai इसके बारे में पूरी जानकारी पता चल गयीं। आप हमने बताये हुए पूजा विधि और नियम से अपने पितरों का श्राद्ध को सही से पूरा कर सकते है। अमावस्या का दिन पितरों के लीज शुभ दिन होता है इसे आप पूरी श्रद्धा से और विधि विधान से करे इससे पितरों को शांति मिलेगी और आपकी समस्त मनोकामना पूरी होगी। आप हमारे Amavasya Kab Hai इस ब्लॉग पोस्ट को पढ़ने के आपका बहुत धन्यवाद आपको यह ब्लॉग कैसा लगा नीचे कमेंट में जरूर बताना।